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दोस्ती क्या है और इसका मूल स्वरूप क्या है? 

  • maheshkumarmilanka
  • Aug 27, 2019
  • 2 min read

[27/08 11:58] Mahesh Kumar Yadav: दोस्तो, दोस्ती मित्र,सखा,और दोस्त शब्द के रिश्ते का महत्व भाई शब्द के रिश्ते के महत्व से ज्यादा प्रभावशाली और दिल दिमाग दोनो को जोड़ने वाला एक ईश्वर का वरदान है जो इन्सानियत, मानवता और एक-दूसरे के प्रति सद्भावना व्यक्तिगत आचरण से प्राप्त होता है । मेरे प्रिय दोस्तो दोस्ती मुख्य रूप से दो तरह की होती है। ● १ - स्वार्थयुक्त भाव ● २ - नि:स्वार्थ भाव

- इस तरह की दोस्ती मे मानवता और इन्सानियत को विशेष रूप से महत्व नही दिया जाता है यहाँ पर एक की जरूरत दूसरे से या दोनो को एक दूसरे की जरूरत होती है जिसे स्वार्थ सिद्ध हो जाने के बाद लोग अक्सर तोड़कर उसके मूल्यांकन कर देते है जिसके कारण से दोस्ती समझौता और संधि का रूप धारण कर लेती है ऐसी दोस्ती मे पीठ पीछे धोखाधड़ी भी मिलती है । नि:स्वार्थ भाव - इस तरह की दोस्ती जो प्रेम, करूणा, दया और दीन दुखीयो को दान करने वाले व्यक्ति होते है उनके पास जाने से स्वतः ही साथ मिल जाता है। लेकिन ऐसे महान पुरुष बहुत कम मिलते है । जो निःस्वार्थ भावार्थ सामर्थ्य अनुसार मदद करते और इन्सानियत कायम रखते है और बदले मे कुछ अपेक्षा नही रखते । परस्पर प्रेम की भावना एक दूसरे के लिए रहता है एक-दूसरे के सुख-दुख मे साथ देना जीवन पर्यन्त कार्यशैली का हिस्सा बना रहता है । परन्तु यह प्रेम भरी दोस्ती तभी कायम रह सकती है जब दोनो निःस्वार्थ हो और कभी-कभी परिवारिक समस्या से जूझ रहा दोस्त किसी विषम परिस्थिति मे कोई एक मदद न कर सके फिर भी आपका प्रेम उसके लिए कम न हो आप भी उसके मजबूरी को समझे और उसके परेशानी को समझे और सामर्थ्य अनुसार मदद कर सकते है तो बिना लाग - लपेट दोस्त की मदद करे ।

इन्सान तो बुद्धिजीवी वर्ग से है उसे सही - गलत , अच्छे - बुरे वक्त और व्यक्ति का समझ है लेकिन जानवर पशु पक्षी को दुनियादारी की कुछ समझ नही होती लेकिन जब हम इनसे भी दोस्ती कर लेते है तो यह भी हमसे प्रेम करने लगते है जबतक हमसे इनको खतरा नही महसूस होता है तब ये भी अपनी दोस्ती निभाते है । यहा तक की जब उनके दोस्त या मालिक को कोई नुकसान पहुंचाने का प्रयास करे तो उसे बर्दाश्त नही करते । जरूरत इस बात की है कि हम इनसे कितना प्रेम करते है और दोस्ती कर पाने मे कामयाब है या नही । इस तरह की दोस्ती का मुल्यांकन नही किया जा सकता है क्योंकि ये अनमोल है और ईश्वर या प्रकृति का वरदान है । मेरे प्रिय भाई प्रेरणास्रोत महेश मुकदम और बाल्यकाल सखा और दिल के करीब दोस्त मेरे अनुज धनीराम प्रजापति तथा सुनील कुमार गौड़ कुछ समय कर्मभूमि महानगरी मुम्बई के साथी हमारे प्रिय दोस्त रत्नेश कुमार सिंह और छोटे भाई दोस्त डब्बू को यह ब्लॉग समर्पित है ।

 
 
 

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